आज की दुनिया में हम सभी सर्विलांस का हिस्सा हैं, चाहे वो हमारे रोज़मर्रा के ऑनलाइन जीवन में हो या बड़े शहरों की सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से। सर्वैलन्स एक अहम व्यवस्था है जो हमारी सुरक्षा, संवेदना और अनुगमन को सुधारने में मदद करती है। लेकिन, ये व्यवस्था भी व्यक्तिगत गोपनियता की उलंघन का खतरा लेकर आती है।

क्या ब्लॉग पोस्ट है, हम इसके के विषय में इस ब्लॉग पोस्ट में  गहनता से विचार करेंगे। हम सर्वैलन्स की प्रकृति, उसके प्रकार, और उसके प्रभाव पर गौर करेंगे। हमारे व्यवसायिक, व्यक्तित्व, और डिजिटल जीवन में इसका असर कैसे होता है, ये समझने की कोशिश करेंगे।

और भी महत्वपूर्ण रूप से, हम विवादात्मक मुद्दे पर गौर करेंगे। क्या Surveillance हमारे व्यक्ति अधिकारो में दखल देता है? हम अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा कैसे जान सकते हैं? ऐसे और कई सवालों के जवाब ढूंढने के लिए, इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ना ना भूलें। Surveillance एक विषय है जिसे समझना और उसकी प्रति जागरूक रहना हमारे डिजिटल युग में महत्‍वपूर्ण है।

Surveillance क्या होता है?

ये एक प्रक्रिया या व्यवस्था होती है जिसमें कोई व्यक्ति, स्थान, या घटनाये या अनुगमन के लिए देखी जाती है। इसके के माध्यम से जानकारी, डेटा, या प्रवृत्तियों का संवेदनाशील रूप से अनुगमन किया जाता है। इसके के कई प्रकार होते हैं, जैसे:

  • CCTV: क्लोज-सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरों के माध्यम से स्थान या व्यक्ति की Surveillance की जाति है। ये अक्सर संवेदनाशीलता और सुरक्षा के उद्देश्य से इस्तमाल होती है, जैसे कि व्यवसायी स्थल, सदकोन, और सरकारी इमरातों में।
  • Government: सरकारी संगठन या कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नगरिकों की गतिविधियों का अनुगमन किया जाता है सुरक्षा और संवेदनाशीलता के उपदेश से। इसमें टेलीफोन कॉल, ईमेल, या अन्य डिजिटल संचार पर ध्यान दिया जाता है।
  • Digital: इंटरनेट पर निगरानी को ऑनलाइन/डिजिटल Surveillance कहते हैं। इसमे व्यक्तित्व के ऑनलाइन सर्च, सोशल मीडिया प्रोफाइल, ईमेल, और कोई भी ऑनलाइन जानकारी का अनुगमन किया जाता है।
  • Private: आपके व्यक्तित्व जीवन में भी निजी Surveillance होती है, जैसे कि मोबाइल फोन या स्मार्ट डिवाइसेज के माध्यम से आपके व्यक्तिगत निगरानी का अनुगमन।
  • Corporate: व्यावसायिक संगठन द्वार व्यक्ति और ग्राहकों की व्यावसायिक गतिविधियों का अनुगमन किया जाता है, जैसे कि खरीदारी की रुचियां, ऑनलाइन व्यवहार, और उपभोक्ता की पसंद।
  • Medical: चिकित्सा संस्थान द्वार चिकित्सा की व्यवस्था, रोग प्रतिरोध, या महत्वपूर्ण परामर्श के उद्देश्य से अभ्यास की चिकित्सा से संबंधित जानकारी का अनुगमन किया जाता है।

निगरानी की उपयोगिता सुरक्षा, संवेदनाशीलता, और अनुगमन में मददगार होती है, लेकिन इसका दुरूपयोग भी हो सकता है, जैसे व्यक्तिगत गोपनियता के उलंघन, व्यक्तिगत अधिकार का विरोध, और अन्य समस्याएं। इसलिए, सर्वैलन्स को व्यवस्थित तारिके से नियंतृत करना और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

Surveillance की शुरुवात किसने ओर कैसे की?

सर्वेलांस की शुरुवात 1960s में हुई, जब ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) - पहला Wide Area Network(WAN) - मे 4 Host computers (IMP- Interface Message Processors) से मिलके 29th October 1969 को Stanford Research Institute(SRI), University of California, Los Angeles(UCLA), University of California Santa Barbara(UCSB), and the University of Utah(UTAH) मे connected huye.

Mobile Surveillance

मोबाइल निगरानी से तात्पर्य मोबाइल उपकरणों से जानकारी की निगरानी और एकत्र करने की प्रथा से है। यह विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है
  • मोबाइल सतर्कता के लिए, विभिन्न उपकरण, सॉफ्टवेयर, और प्रौद्योगिकी का प्रमुखत: 1) GPS (Global Positioning System), 2) IMEI (International Mobile Equipment Identity), 3) Call Detail Records (CDR), 4) Cell Site Analysis (CSA), 5) Mobile Forensics Tools.
  • GPS: GPS महसूस-प्रमाणन से मोहनी-प्रमाणन (Triangulation) के माध्यम से उपयोगकर्ता के मोबाइल डिवाइस की स्थिति का पता लगाता है।
  • IMEI: IMEI एक मोबाइल डिवाइस की पहचान होती है, जिसे सेलुलर नेटवर्क प्रोवाइडर (Cellular Network Provider) के माध्यम से प्रमुखत: 1) संप्रेषित/प्राप्त/संपन्न हुए कॉल, 2) SMS (Short Message Service), 3) Mobile Data usage, 4) Location tracking.
  • CDR: Call Detail Records (CDR) में, प्रमुखत: 1) Call duration, 2) Call timing, 3) Caller ID and number, 4) Receiver ID and number.
  • CSA: Cell Site Analysis (CSA), GPS महसूस-प्रमाणन का पहलु है; CSA संकेतक (transmitter/receiver devices), Antenna sites, Cell towers की महसूस-प्रमाणन से मोहनी-प्रमाणन (Triangulation), Time of Arrival (TOA), Time Difference of Arrival (TDOA), Angle of Arrival (AOA).
  • Mobile Forensics Tools: ये उपकरण मोबाइल डिवाइस की सतर्क

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